Nayi soch Naya kadam
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निकलता गया समय वो बस देखता रह गया
मुसीबत से लड़ने के बजाये खुद मुसीबत बनता गया
सोचता था रोज़ कि आज कुछ नया करूँगा
नया करने के चक्कर में पिछला भूलता गया
कल कल करते करते आज भूलता गया
आज और कल के बवंडर में रोज फँसता चला गया
जाने क्या हुआ था उसको रोज थोड़ा बदलता गया
ऐसा वो था ना मगर आलस्य के कारण कमज़ोर बनता गया
आलस्य एक ऐसी बीमारी है दोस्त
जो कभी दिखती नहीँ
पर जिस दिन से दिख जाए
उसके बाद कामयाबी भी टिकती नहीँ
मार दो आलस्य को इससे पहले वो तुमको मार दे
खत्म कर दो उसकी पहचान इससे पहले तुम्हे मात दे
मत रोको खुदको आलस्य के सामने यह तुम्हे कुछ न देगा
तुम्हारे पास जो कुछ बचा है वो अब आलस्य ले लेगा
किसको नींद अच्छी नहीँ लगती
सर्दी की सुबह किसको नहीँ जमती
सबका मन करता है आराम फरमाने को
पर सफलता इजाज़त नहीँ देती फिरसे सो जाने को
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